23.7.09

हारा वही जो लड़ा नहीं है ......

हारा वही ,

जो लड़ा नहीं है ......

और ,

हम लड़ते रहे हर वो लडाई ,

जिनसे है इंसानियत शर्मसार ,

हम ख़म ठोककर खड़े रहे तब भी ,

जब शासन प्रशासन के आगे ,

मास्ट हेड भी झुका लेते थे अपना सर

हमने शीश झुकाया - उन लोंगो

और कामों के लिए ,

जिनसे संवरता है हम सब का कल ,

हम वीरानों में थे , हम थे अट्टहासों के बीच भी ,

हम चीत्कारों को सुन रहे थे

और महसूस कर रहे थे सिसकियों को भी ,

हर दुःख , हर सुख में

हर शर्म में और हर गौरव में

हम थे आपके साथ ,

हर बार हमने बताया सच ,

क्योकि हम हमेशा से थे सच के साथी ,

और हैं साहस के साझीदार

क्योकि हम चाहते हैं

सबके लिए स्वाभिमान